सुंदर कथा ११४ (श्री भक्तमाल – श्री दादू दीनदयाल जी) Sri Bhaktamal – Dadu Deendayal ji

संतो का हृदय कैसा होता है –संत दादू दयाल जी भिक्षा मांगने जिस रास्ते से निकलते वहां बीच मे एक ऐसा घर पड़ता था जहां रहने वाला व्यक्ति दयाल जी की भरपूर निंदा करता था । उनको देखते ही कहता था – बडा संत बना फिरता है, बड़ा ज्ञानी बना फिरता है । कई प्रकार के दोष गिनाता और अंदर चला जाता । कई बार जब वह निंदक नजर नही आता तब भी दयाल जी उसके मकान के सामने कुछ देर प्रतीक्षा करते और आगे बढ़ जाते । कुछ दिन वह निंदक नही दिखाई पड़ा तो दयाल जी ने आसपास पूछा । पूछने पर पता लगा की उस व्यक्ति की मृत्यु हो गयी है । इस बात से दयाल जी अत्यंत दुखी होकर जोर जोर से रोने लगे । शिष्य ने पूछा – गुरुदेव ! आप क्यों रोते हो? दयाल जी ने कारण बताने पर शिष्य बोला – वह तो आपका निंदक था , वह मर गया तो आप को प्रसन्न होना चाहिए परंतु आप तो रो रहे है – ऐसा क्यों ? दयाल जी बोले – वह मेरी निंदा करके मुझे सदा स्मरण करवाता रहता की मै कोई संत महात्मा नही हूँ, मै कोई ज्ञानी नही हूं, वह मुझे स्मरण करता रहता था की यह संसार कांटो से भरा है । वह मुझे ज्ञान और त्याग का अहंकार नही होने देता था । यह सब उसने मेरे लिए किया वह भी मुफ्त मे । वह बडा नेक इंसान था, अब उसके जाने पर मेरे मन का मैल कौन धोएगा ?इतना ही नही , इसके कुछ दिन बाद वह व्यक्ति दिव्य शरीर धारण करके दयाल जी के सामने प्रकट हुआ । उससे दयाल जी ने पूछा की तुम्हारी तो कुछ समय पहले मृत्यु हो चुकी थी ? उस व्यक्ति ने कहां – आप जैसे परम संत की निंदा करने के पाप से मैं प्रेत योनि मे चला गया था और कुछ दिनों से कष्ट पा रहा था परंतु कुछ दिनों के बाद मेरी मृत्यु की घटना सुनते ही आपने मेरा स्मरण किया और प्रभु से मेरे उद्धार की प्रार्थना भी की । मुझ जैसे निंदक पर भी आप जैसे महात्मा कृपा करते है । आप जैसे परम नामजापक संत के संकल्प से मै प्रेत योनि से मुक्त होकर दिव्य लोक को जा रहा हूँ ।

There was a notorious person who used to say bad words(Ninda/burai) to saint Dadu Dayal jee. Everyday as soon as dadu deendayal would start roaming for daily alms and prachar, this wicked person would come and abuse saint dadu deendayal. This continued for long period of time. One day dadu deendayal started crying when he did not see that wicked person. The disciples asked – Gurudev what happened ? Why are you crying ? Dadu deendayal said – My nindak is no more. He used to clean my soul and mind everyday. He used to show me my faults and constantly reminded me that i am not perfect. He did all this for me , and that too for free. He was a great person. I will become dirty now, who will clean me everyday ?सुना कि निंदक मर गया , तो दादू दीना रोए ।।

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